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ब्रीफ टेल्स–लोग क्या कहेंगे

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"लोग क्या कहेंगे इस बारे में तो सोचो।" निधि ने फोन पर किसी को समझाते हुए कहा और फिर थोड़ी देर बात बातचीत करने के बाद उसने फोन रख दिया। “ये आप क्या कह रही है? लोगों का काम बस कहना होता है। उनकी सोच से हमें कोई फर्क नही पड़ता चाहिए।” उसकी बेटी ने अपनी बात रखी और फिर आगे बोली। “आप भी हमेशा यही बात कहती आई हो।” “पहले पूरी बात समझ लो। लोगों क्या कहेंगे इस बात का फर्क भी पड़ना चाहिए। इस बात से बेखब्र होने पर अक्सर लोग बहुत गलत काम कर बैठते है।” निधि ने बात शुरू करते हुए कहा और फिर आगे बोली। “इंसान एक दूसरे से जुड़े हुए होते है मतलब सामाजिक प्राणी है। आप पूरी आस पास के लोगों को पूरी तरह से नही नकार सकते और मैने ये कब कहां कि खाना में क्या बनाना चाहिए जैसी छोटी छोटी बातों में सोचना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे।” “तो फिर?“ उसकी बेटी ने सवाल पूछा। “कोई भी बुरा काम करते हुए सोचना चाहिए की लोग क्या कहेंगे? अपने मां बाप का अनादर करने वक्त सोचना चाहिए। किसी लड़की के बारे में गलत नजरिया रखते हुए सोचना चाहिए। बड़ो को गलत काम करते हुए सोचना चाहिए कि बाद में लोग उनके बच्चों को क्या कहेंगे। जीवनसाथी के साथ गलत करते हुए लोगों के बारे में सोचना चाहिए। बहुत बार लोग बहुत से गलत काम इसलिए ही करते क्योंकि उन्हें लोगों क्या कहेंगे, इस बात से फर्क ही नहीं पड़ता।। बहुत लोग खुद का ध्यान रखने के साथ सलीके से भी लोगों की वजह से रहते है।“ “समझ गई और अगर आप सही हो तो आपको उनकी बातों पर गौर भी नही करना चाहिए क्योंकि लोग गिराने का काम भी करते है और बच्चों को संस्कार देने चाहिए ताकि लोग ये ना कहे कि कुछ नही सिखाया।” अपनी बेटी का जवाब सुनकर निधि हल्के मुस्कुरा दी।

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हर काम एक निश्चित सीमा तक ही सही रहता है।

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